रूपावली
Sunday 15 December 2013
...
आगसी मनमें लगती है जब यार हो आँखोंसे ओझल
देखा है आसमाँ को मैंने रोज शाम जलते हुए
Copyright © roopavali. All rights reserved
तनहाई
रातपे उँडेल दी है काली सियाही किसीने
उसकी किस्मतमें लिखी तनहाई पर वो फिरभी मिटा न सका
Copyright © roopavali. All rights reserved
मैं नहीं
जिस मोड़ पर मिले थे वहीं रह गयी हूँ शायद
अब यहाँ बस जिस्म है मेरा … मैं नहीं मैं नहीं!
Copyright © roopavali. All rights reserved
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)