Wednesday, 29 January 2014

दुरावा

कधी उसासे, कधी मूक अश्रूंची टपटप
पहा दुराव्यालाही असतो आवाज काही

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पैग़ाम

अभी सोचा था अच्छा है जरासा दूर ही रहना
न सोचा था के आयेगा तेरा पैग़ाम तो क्या होगा!


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Monday, 27 January 2014

राधा

मन झाले राधा, शोधे शामसख्याला
हर क्षण सावळला, त्याला फितुर झाला
ओठांत नाव, डोळ्यांत रुपही त्याचे
परी लपला कोठे, लावे घोर जिवाला


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Tuesday, 21 January 2014

विरहगाठी

रेशिमनात्याला का विरहाच्या गाठी
मन सैरभैर मग फिरते तुझ्याच पाठी
तोड हा अबोला, बोल पुन्हा हळुवार
मी झुरते आहे तुला ऐकण्यासाठी



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Friday, 17 January 2014

सन्नाटा

इतने सन्नाटेसे पहली बार रूबरु हुए
धड़कन रुकसी गयी है तेरे दूर जानेसे


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Sunday, 12 January 2014

मोम

जलना गलना पिघल जाना, इन्सानोंकी फ़ितरत नहीं
तुझसे मिलनेके बाद शायद मोम सी बन गयी हूँ मैं


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Sunday, 5 January 2014

तसल्ली

मेरे पुकारनेपर ही सही, तूने आवाज तो दी
इसीसे तसल्ली कर लूँगी के मैं तुझे याद तो हूँ


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Saturday, 4 January 2014

क्यूँ

साँसोंकी तरह समाये रहते हो मुझमें हरदम
आँखोंको फिरभी तुम्हारा इंतजार क्यूँ है?


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